Tuesday, January 1, 2013

मेरी छोडो अपनी माता कि पहचान बानो

मा.श्री .अमिताभ बच्चन यांची कविता
दिल्ली ग्यांग रेप नंतर केलेली
"समय चालते मोमबत्तीया ,जलकर बुझ जायेंगी
श्रद्धा मी डाले पुष्प ,जल हीन मुर्झा जायेंगे
स्वर विरोध के और शांती के ,अपनी प्रबलता खो देंगे
किंतु "निर्भयता" कि जलाई अग्नी हमारे हृदय को प्रज्वलित करेगी
दग्ध कंठ से "दामिनी "कि अमानत "आत्मा" विश्वभर मी गुंजेगी
स्वर मेरे तुम ,दल कुचलकर पीस न पाओगे

मै भारत कि मा बहनीया बेटी हू ,
आदर और सत्कार कि हकदार हू ,
भारत देश हमारी माता है ,
मेरी छोडो अपनी माता कि पहचान बानो |
-------------------------------------------------------अमिताभ बच्चन 


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